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उपन्यास >> परम्परा

परम्परा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9592

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भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास


‘‘वह मेरे वहाँ पहुँचने से पूर्व हवाई जहाज से लन्दन और फिर न्यूयॉर्क के लिये जा चुका था। मैं लियौन जा पुनः शनिवार पैरिस हवाई पत्तन पर पहुँची, परन्तु वह लौटा नहीं। न्यूयॉर्क में ही वह एक महीने की अवैतनिक छुट्टी लेकर कहीं लापता हो गया है।

‘मैं उसे ढूँढने न्यूयॉर्क और फिर वहाँ से उसका पता करती हुई वाशिंगटन पहुँची। परन्तु उसका पता नहीं चला।

‘‘अमेरिका से मैं आज ही वापस लियौन पहुँची हूँ और यहाँ आपका पत्र मिला है। अतः लिख रही हूँ कि आपको कुछ पता हो तो लिखिये।’’

कुलवन्त ने पत्र पढ़ा और उत्तर देने के लिये पत्र को एक ओर रख छोड़ा। अमृत अभी भी अचेत था।

समाप्त

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