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श्रीकृष्ण चालीसा

गोपाल शुक्ल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :13
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9655

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श्रीकृष्ण चालीसा


पूतना कपट रूप धर आई,
प्रभो! आपने मार मुकाई।
श्रीयमुना जल पावन कीना,
अभय दान भक्तन को दीना ।।3।।

मान इन्द्र का तोड़ दिखाया,
प्रभो! आपकी अद्भुत माया।
लेन परीक्षा  ब्रह्मा  आए,
लीला देख के शीश नवाए ।।4।।

जय माधव जय जय बनवारी,
जय जय तृणावर्त कंसारी।
जय गोपाल सदा सुखदाई,
जय केशव जय जय यदुराई ।।5।।

जय अर्जुन के सखा पियारे,
जय पांडुसुत तारन हारे।
जय जय जय जगबन्धन टारन,
जय संतन के दुःख निवारण।।6।।

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