ई-पुस्तकें >> श्रीकृष्ण चालीसा श्रीकृष्ण चालीसागोपाल शुक्ल
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श्रीकृष्ण चालीसा
पूतना कपट रूप धर आई,
प्रभो! आपने मार मुकाई।
श्रीयमुना जल पावन कीना,
अभय दान भक्तन को दीना ।।3।।
मान इन्द्र का तोड़ दिखाया,
प्रभो! आपकी अद्भुत माया।
लेन परीक्षा ब्रह्मा आए,
लीला देख के शीश नवाए ।।4।।
जय माधव जय जय बनवारी,
जय जय तृणावर्त कंसारी।
जय गोपाल सदा सुखदाई,
जय केशव जय जय यदुराई ।।5।।
जय अर्जुन के सखा पियारे,
जय पांडुसुत तारन हारे।
जय जय जय जगबन्धन टारन,
जय संतन के दुःख निवारण।।6।।
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