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श्रीकृष्ण चालीसा

गोपाल शुक्ल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :13
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9655

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श्रीकृष्ण चालीसा


एक समय जब माटी खाई,
मातु यशोदा मारन आई।
आपने मुख जब खोल दिखाया,
सकल जगत तिस में दिखलाया।।11।।

देखत भई चकित महतारी,
फिर प्रभु माया आपने डारी।
मन हर माखन चोर सदाए,
अद्भुत अद्भुत दृश्य दिखाए।।12।।

जय जगदीश चराचर करता,
जय प्रतिपालक हरता भरता।
जय सुखसदन क्लेश निवारण,
जय जय जय जगतारण कारण।।13।।

जय पूरण जय जय परमेश्वर,
जय आनन्दघन जय सर्वेश्वर।
जय घट घट की जानन हारे,
जय वसुदेव देवकी प्यारे।।14।।

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