ई-पुस्तकें >> श्रीकृष्ण चालीसा श्रीकृष्ण चालीसागोपाल शुक्ल
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श्रीकृष्ण चालीसा
एक समय जब माटी खाई,
मातु यशोदा मारन आई।
आपने मुख जब खोल दिखाया,
सकल जगत तिस में दिखलाया।।11।।
देखत भई चकित महतारी,
फिर प्रभु माया आपने डारी।
मन हर माखन चोर सदाए,
अद्भुत अद्भुत दृश्य दिखाए।।12।।
जय जगदीश चराचर करता,
जय प्रतिपालक हरता भरता।
जय सुखसदन क्लेश निवारण,
जय जय जय जगतारण कारण।।13।।
जय पूरण जय जय परमेश्वर,
जय आनन्दघन जय सर्वेश्वर।
जय घट घट की जानन हारे,
जय वसुदेव देवकी प्यारे।।14।।
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