लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> हौसला

हौसला

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :134
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9698

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

198 पाठक हैं

नि:शक्त जीवन पर 51 लघुकथाएं

हिम्मत


रेलवे स्टेशन से निकलते ही मूछोंवाले व्यक्ति ने उसे पकड़ लिया - ऐ लंगडी बुढिया, के सै तेरी इस पोटली में.. चल नीचे उतार।

'बेटा थोड़ा सा खाण का सामान सै... और कुछ ना सै', बुढिया ने दोनों हाथ जोड़ दिए।

तू यूं नहीं मानेगी.., तेरी पर्ची कटवाणी पड़ेगी..., नहीं तो निकाल दे मेरा हिस्सा, चुपचाप.....।

'हिस्सा.... क्यां का हिस्सा रे...'

'जो कुछ इसमें सें- डंडे से पोटली टटोलते हुए उसने कहा।'

लंगड़ी बुढिया ने पोटली उतारकर खोल दी और बोली- मनै के बेरा था, तेरा भी पेट पाटरया सै.... ले खा ले....।

'के सै यो कबाड़ा.....'?

'भीख में मांगी पांच दिना की रोटियां नै बेचण जा रही थी। ले ले तू भी अपना हिस्सा। मनैं ना बेरा था सरकार नै भी जगह जगह अपने मंगते छोड़ राखे सै'।

मूछों वाला अब इधर से नजर चुराकर दूसरे यात्रियों को देखने लगा।

 

० ० ०

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book