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परसाई के राजनीतिक व्यंग्य

हरिशंकर परसाई

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :296
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9709

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राजनीतिक विषयों पर केंद्रित निबंध कभी-कभी तत्कालीन घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए अपने पाठ की माँग करते हैं लेकिन यदि ऐसा कर पाना संभव न हो तो भी परसाई की मर्मभेदी दृष्टि उनका वॉल्तेयरीय चुटीलापन इन्हें पढ़ा ले जाने का खुद में ही पर्याप्त कारण है।

मुझे कई अमेरिकी राष्ट्रपति याद आ रहे हैं। अब्राहम लिंकन साढ़े छ: फुट ऊँचा तगड़ा ताकतवर आदमी था। सुंदर नहीं था। मेरी टाड से उसका विवाह हुआ था। मेरी टाड से लिंकन का राजनैतिक प्रतिद्वंदी डगलस भी शादी करना चाहता था। लिंकन लकड़ी काटनेवाले का लड़का था। पर उसने कई तरह के काम किए। दुकान खोली। फिर वकील हो गया। राजनीति भी करने लगा। लिंकन में विकट विनोद प्रियता थी। वह हाजिर जवाब था। एक चुनाव में लिंकन और डगलस आमने-सामने थे। सार्वजनिक विवाद हो रहा था। डगलस स्टोर चलाता था जिसमें शराब बेचता था। लिंकन ने जवाब दिया - डगलस सही कहते हैं मैं शराब बेचता था। मैंने काउंटर की अपनी साइड बाद में छोड़ दी, पर डगलस अभी भी शराब खरीदने खड़े हैं। लिंकन की पत्नी मेरी टाड से नहीं पटी। वह झगड़ती थी। लिंकन पर गर्म पानी फेंक देती थी। व्हाइट हाऊस के बाहर जाकर चीखती चिल्लाती थी। उनके लड़के कहते थे - माँ पागल हो गई है। ऐसे यातनामय घरेलू जीवन के बावजूद लिंकन ने न ताकत खोई न मानसिक संतुलन। उत्तर और दक्षिण अमेरिका में गृहयुद्ध चल रहा था। उन्हें पता लगा कि उनकी फौज के जनरल दुविधा में हैं। वह फौज को हमले का, आगे बढ़ने का आदेश दे रहा है। फौज पड़ी हुई है। एक चकित कर देनेवाली चिट्ठी उसने जनरल को लिखी - माई डीअर जनरल, आई एम इनफॉर्म्ड दैट यू आर नाट यूजिंग द आर्मी ऐट प्रजेंट। विल यू माइंड लेंडिंग इट टू मी। मुझे मालूम हुआ है आप सेना का उपयोग अभी नहीं कर रहे हैं। मुझे, सेना उधार देने में क्या आपको एतराज होगा? इस तरह लिंकन ने कमान छीन ली।

अब्राहम लिंकन को दास प्रथा बंद करने का श्रेय है। इसी साहसिक निर्णय से गृहयुद्ध हुआ और लिंकन की हत्या हुई। दास प्रथा दक्षिण में थी। दक्षिण में उद्योग नहीं थे। उद्योग उत्तर में थे। इन उद्योगों के लिए मजदूर कम मिलते थे। दक्षिण में दास प्रथा खत्म होने से दास उत्तर के कारखानों में काम करने आने लगे। दक्षिण में ये खेती या पेड़ कटाई करते थे। इन्हें उत्तर में औद्योगिक मजदूर का दर्जा मिला। दासों की मुक्ति, लिंकन का मानवतावादी काम तो था ही पर साथ ही उत्तर उद्योगों के लिए मजदूर जुटाना भी था।

लिंकन का घरेलू जीवन दुखी था। उन्हें गृहयुद्ध संचालित करना पड़ा। निरंतर तनाव में रहनेवाले इस आदमी में विशिष्ट आत्मबल था। उसकी विनोदशील प्रकृति भी उसके बोझ को कम करती थी। एक वृद्ध महिला उनसे मिली। कहने लगी। मेरे पति फौज में बड़े अफसर थे। मेरे दो बेटे अभी कमीशंड आफीसर हैं। मेरे सबसे छोटे बेटे को भी आप फौज में कमीशन दे दें। लिंकन ने कहा - बहिन, तुम्हारा परिवार काफी देश सेवा कर चुका। अब दूसरे परिवारों को मौका दीजिए। लिंकन को, जब वह थियेटर में बैठा था, एक आदमी ने गोली मार दी, इस तरह दक्षिण ने बदला ले लिया।

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