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पिया की गली

कृष्ण गोपाल आबिद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :171
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9711

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भारतीय समाज के परिवार के विभिन्न संस्कारों एवं जीवन में होने वाली घटनाओं का मार्मिक चित्रण

धरती के फूल

कली ने रेशमी पलकों की चिलमन उठायी।

अधखुली आँखों से आस-पास देखा।

रोशनी की नन्हीं-मुन्हीं लकीरें थिरकने लगी।

औऱ अचानक...

"आप?" संगीत का हल्का-हल्का बहाव...

"हाँ मैं....। मैं.... मैं तुम्हारा अपना। मैं।"

दोनों लिपट गये।

लाखों वर्षो के आँसू वह निकले।

वह उसे लिपटाये हूए था औऱ वह उसकी गोद में लिपटी बिलख रही थी।

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