धर्म एवं दर्शन >> काम कामरामकिंकर जी महाराज
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मानसिक विकार - काम पर महाराज जी के प्रवचन
भगवान् शंकर की समाधि का सबसे बड़ा लाभ तारकासुर को प्राप्त होता है। वह देवताओं पर मनमाने अत्याचार करता है और उन सब को जीतकर देवलोक पर अपना अधिकार कर लेता है। वह गणित करता है कि शंकरजी समाधि में हैं और उस आनंद को छोड़कर वे नेत्र खोलकर बाहर का सुख क्यों ढूँढ़ेंगे? परिणाम यह होता है कि भगवान् शंकर समाधि का आनंद लेते हैं और समस्त देवता एवं संसार के सब प्राणी तारकासुर के कारण दुख भोगते हैं। कथा आती है कि भगवान् राम शंकरजी के पास जाकर उनसे पार्वतीजी से विवाह करने की प्रार्थना करते हैं। भगवान् शंकर इसे स्वीकार तो कर लेते हैं, पर भगवान् राम के रूप का स्मरण करते हुए वे पुन: समाधिस्थ हो जाते हैं और इस तरह भगवान् राम को दिया हुआ अपना वचन भूल जाते हैं। तब देवताओं ने कामदेव का स्मरण किया। गोस्वामीजी कहते हैं कि सब देवता मिलकर कामदेव की स्तुति करने लगे-
और तब कामदेव प्रकट हो गये-
वर्णन आता है कि कामदेव के ध्वज पर मछली का चिह्न अंकित है। यह चिह्न मानो संकेत करता है कि जिस प्रकार मछली जल से अलग कर देने पर मृतप्राय हो जाती है, उसी प्रकार कामी व्यक्ति भी, कामरस से उसके मन को विलग कर दिये जाने पर, अपने जीवन को व्यर्थ समझने लगता है।
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