लोगों की राय

आचार्य श्रीराम शर्मा >> मनःस्थिति बदलें तो परिस्थिति बदले

मनःस्थिति बदलें तो परिस्थिति बदले

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :61
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9833

Like this Hindi book 0

समय सदा एक जैसा नहीं रहता। वह बदलता एवं आगे बढ़ता जाता है, तो उसके अनुसार नए नियम-निर्धारण भी करने पड़ते हैं।

तीसरा उद्यान है - अंतःकरण क्षेत्र का, जिसमें भाव संवेदनाएँ मान सरोवर की तरह लहराती और गंगा भागीरथी की तरह उत्ताल तरंगों के साथ बहती हैं। मात्र निष्ठुरता ही एक ऐसी चट्टान है, जो इन उपायों का द्वार बंद किए रहती है। यही है वह उल्लास उद्गम, जिसमें देवता रहते, महामानव विकसते और ऋषि मनीषियों की चेतना निवास करती है। संकीर्ण स्वार्थपरता ही एक ऐसी बाधा है, जो मनुष्य को उदारमना बनकर उच्चस्तरीय सेवा साधना के लिए अजस्र अवसर उपलब्ध नहीं होने देती है।

मनुष्य भटका हुआ देवता है। यदि वह अपने इस भटकाव से छुटकारा पा सके और महानता के राजमार्ग पर चलते रहने की विवेकशीलता अपना सके, तो उतने भर से ही स्वयं पार उतरने और अनेकों को पार उतारने की स्थिति अनायास ही बन सकती है। इसके लिए विद्वान या पहलवान होना आवश्यक नहीं। कबीर, दादू, रैदास, मीरा, शबरी आदि ने विद्वत्ता या संपन्नता के आधार पर वह श्रेय प्राप्त नहीं किया था, जिससे अब भी असंख्यकों को उच्चस्तरीय प्रेरणाएं उपलब्ध करते देखा जाता है।

मनुष्य के पास शरीर, मन और अंतःकरण यह तीन ऐसी खदानें हैं, जिनमें से इच्छानुसार मणिमुक्तक खोद निकाले जा सकते हैं। बाहरी सहयोग भी सत्पात्रों को अनायास ही मिल जाता है। अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को सहज छात्रवृत्तियां मिल जाती हैं। मात्र कुपात्र ही कभी भाग्य पर, कभी ग्रह नक्षत्रों पर और कभी जो भी सामने दीख पड़ते हैं, उसी पर दोष मढ़ते रहते हैं। गतिवानों को किसी ने रोका नहीं है। गंगा का प्रवाहमान संकल्प, उसे महासागर के मिलन तक पहुँचाए बिना बीच में कहीं रुका नहीं है। जिस-तिस से सहारा पाने की भी समय कुसमय आवश्यकता पड़ सकती है, पर उसकी उपयोगिता उतनी ही स्वल्प है, जितनी संकट ग्रस्तों को कठिनाई से उबारने में कभी-कभी उदारचेताओं की सहानुभूति काम दे जाती है, उसी के सहारे जिन्दगी की लंबी मंजिल को पार करना और बढ़ी चढी सफलताओं के अनुदान-वरदान प्रस्तुत कर सकना संभव नहीं होता।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book