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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

13

'नसीरुद्दीन, तुम यहाँ शराब-खाने में बैठे हो और तुम्हारे घर में आग लग गई।' मुल्ला के दोस्त ने सूचना दी।

यह सुनते ही मुल्ला बड़े जोरों से हँस पड़ा।

दोस्त ने झल्ला कर कहा-

'अजीब अहमक हो, तुम्हें अपना मकान जलने पर भी हँसी सूझ रही है।'

'अहमक मैं नहीं हूँ, तुम हो। जब मकान की चाबी मेरे पास है तो उसमें आग कहाँ से पहुँच सकती है।' मुल्ला ने अपनी जेब से चाबी निकालकर दिखाते हुए अपने दोस्त से कहा।

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