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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

12

'मुल्लाजी, मैंने सुना है आप बड़े रहमदिल आदमी हैं। मुझे पचास रुपये उधार दे दीजिए।'

'मगर भाई, मैं तो तुम्हें जानता तक नहीं।' मुल्ला बोला। 'इसीलिए तो आपके पास आया हूँ मुल्लाजी, मेरा जानकार तो कोई मुझे दो रुपये भी नहीं दे सकता।'

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