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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

5

मुल्ला नसीरुद्दीन होटल के बासी और बेस्वाद खाने को जैसे-तैसे गले के नीचे उतार रहा था। तभी होटल मालिक ने जले पर नमक छिड़का-'कहिये मुल्ला साहब! खाना तो पसन्द आया?'

'वाह साहब! यहाँ तो मुझे तीन दिन पहले ही आ जाना चाहिए था।' मुस्कुराकर मुल्ला ने कहा।

'आपकी इनायत जब हुई, तभी ठीक है, मगर आपने तीन दिन ही क्यों कहा?'

मुल्ला की बात को प्रशंसात्मक समझते हुए होटल वाले ने पूछा। ' मैं समझता हूँ-यह खाना तीन दिन पहले का ही बना हुआ है, अगर तीन दिन पहले आ जाता तो खाना ताजा मिल जाता।'

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