नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
मधु को तो अधरों पर ही समर्पित हो जाना चाहिए
इतने घने समूहों में फल आते हैं मेरे उद्यान में कि एक दूसरे से टकराने लगते हैं और एक दूसरे को धक्का मारने लगते हैं।–पूर्णता के आवेश में प्रकाश को प्राप्त कर एक दम उठ-से बैठते हैं वे।
मेरी रानी! तुम सगर्व मेरे उद्यान में आओ, किसी छाया के नीचे बैठो, थके हुए फलों को उनकी शाखाओं से तोड़ लो और उनसे कहो कि वे अपने मधुमय भार को तुम्हारे अधरों पर समर्पित कर दें।
मेरी वाटिका में तितलियाँ अपने पंखों को सूर्य-प्रकाश में झाड़ा करती हैं। तब, उन्हीं के ऐसे व्यवहार से पत्तियाँ कंपित हो उठती हैं और फल पूर्णता प्राप्त करने के लिए आतुर होकर चिल्लाने लगते हैं।
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