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उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘‘यह सम्भव नहीं! हां, यहां तुम पाकिस्तान से उतनी ही सुरक्षित हो, जितनी वहां हो सकती हो।’’

‘‘अच्छा, सुनो! मेरा नाम है केवलकृष्ण। मैं दो समय यहां आया करूंगा। मध्याह्न लंच के समय और रात डिनर के समय। शेष समय तुम यहां रहोगी। कल से तुम्हारे लिए पुस्तक और समाचार पत्र आ जायेंगे।’’

इस समय केवलकृष्ण ने घण्टी बजाई और बेयरा भीतर आ पूछने लगा, ‘‘क्या हुक्म है?’’

‘‘सब दरवाज़े बन्द कर दो जिससे यह पक्षी उड़ न सके और खाना यहां इस कमरे में लगा दो।’’

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