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उपन्यास >> आशा निराशा आशा निराशागुरुदत्त
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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
‘‘तुम अपना जीवन किसी प्रकार भी चलाना चाहो, हमारी सहानुभूति और सहायता सदा बनी रहेगी।’’
‘‘हम कल छः बजे प्रातःकाल के हवाई जहाज से लन्दन लौट जायेंगे।’’
इसमें उत्तर देने को कुछ नहीं था। मैत्रेयी समझती थी कि उसने माता जी के विचार पर अपनी प्रतिक्रिया बता दी है और अब उसके उपरान्त कुछ अन्य कहने को नहीं है।
वह अपने क्वार्टर को टैक्सी पर चली गयी
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