उपन्यास >> बनवासी बनवासीगुरुदत्त
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नई शैली और सर्वथा अछूता नया कथानक, रोमांच तथा रोमांस से भरपूर प्रेम-प्रसंग पर आधारित...
रात भोजन के समय उस बस्ती के वार्डन मिस्टर बीडन पाल की पत्नी ने दरवाज़ा खटखटाकर उनको सचेत किया। दोनों अभी भी परस्पर प्यार कर रहे थे।
भोजन के समय मिस्टर पाल ने कहा, ‘‘देखो लड़की! तुम गिरजाघर के दूसरी ओर जो स्कूल है उसमें भर्ती कर दी गई हो, तुम्हें नित्य वहाँ पढ़ने के लिए जाना होगा।...और मिस्टर! क्या नाम तुम्हारा?’’
‘‘बड़ौज।’’
‘‘यह नाम सुन्दर नहीं। तुम्हारे जैसे सुन्दर युवक का नाम भी सुन्दर होना चाहिए।’’
‘‘तो आप बता दीजिए।’’
वार्डन ने कुछ विचारकर कहा, ‘‘असल नाम तो बड़ौज ही रहेगा। परन्तु मैं बड़ौज के साथ एक उपनाम रख देता हूँ। वह उपनाम होगा ग्रीन। तुम्हारा अब पूरा नाम होगा बड़ौज ग्रीन। यह होगी बिन्दू ग्रीन।’’
‘‘समझ गया हूँ।’’
‘‘हाँ, तो मिस्टर ग्रीन! तुम कल मेरे साथ चलोगे। मैं तुमको काम बताऊँगा, वह तुम्हें करना होगा। तुमको एक रुपया नित्य मिलेगा और काम देखकर तरक्की भी मिलेगी।’’
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