लोगों की राय

उपन्यास >> सुमति

सुमति

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :265
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7598

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

327 पाठक हैं

बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।


नलिनी बैठक में प्रवेश कर हाथ जोड़ नमस्कार करने लगी तो खड़वे ने भी हाथ जोड़ दिए। वह नलिनी की रूपरेखा से पूर्णतया सन्तुष्ट था।

‘‘भोजन लाओ।’’ श्रीपति ने अपनी पत्नी को कह दिया।

‘‘आपने भोजन किया नहीं क्या?’’ नलिनी ने चिन्ता व्यक्त करते हुए पूछ लिया।

‘‘तुम्हारी प्रतीक्षा हो रही थी।’’ श्रीपति ने कह दिया।

‘‘मैं तो मिसेज़ सुदर्शन के साथ कर आई हूँ।’’

‘‘ओह! बाहर कार में डॉक्टर सुदर्शन थे।’’

‘‘नहीं, उनकी पत्नी तथा उनकी बहन थीं?’’

‘‘तो उनको भीतर क्यों नहीं बुला लिया?’’

‘‘देरी हो गई थी, वे फिर कभी आएँगी।’’

कात्यायिनी दो थाल लगाकर ले आई। एक नलिनी के लिए था, दूसरा खड़वे के लिए। श्रीपति इत्यादि घर के अन्य प्राणी पहले ही का चुके थे। खड़वे ने हाथ धोए और भोजन करने लगा। नलिनी उसके समीप बैठकर कहने लगी, ‘‘आपने आने से पहले पत्र डाल दिया होता तो आपको व्यर्थ में इतनी देर तक भूखा न रहना पड़ता। कब आए हैं आप?’’

मैं मद्रास जनता एक्सप्रैस से आया हूँ। गाड़ी आज कुछ लेट आई थी।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book