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उपन्यास >> प्रगतिशील

प्रगतिशील

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8573

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इस लघु उपन्यास में आचार-संहिता पर प्रगतिशीलता के आघात की ही झलक है।


महेश्वरी उस नर्स के साथ एक कमरे में चली गई। वहां एक औरत गले में स्टेथिस्कोप डाले खड़ी थी। उसने बताया, ‘‘मैं डॉक्टर पी. स्मिथ हूं, डॉक्टर साहनी की असिस्टैंट। आज डॉक्टर नहीं आ सकेंगे। उनके दामाद के साथ एक्सिडेंट हो गया है और उसका ऑपरेशन होने वाला है। यदि आपको केवल उनसे ही राय करनी है तो बात दूसरी है अन्यथा मैं आपकी सहायता कर सकती हूं।’’

‘‘मैं तो उनकी ही कन्सल्ट करना चाहूंगी।’’

‘‘तो आप कल ट्राई करिये।’’

महेश्वरी डॉक्टर साहनी के दामाद की बात सुन मन में भय-सा अनुभव करने लगी थी। उसके मन में एक धीमा-सा सन्देह हो गया था कि कहीं मदन ही उसका दामाद न हो। इस कारण उसने कह दिया, ‘‘मैं भारत की रहने वाली हूं और डॉक्टर साहब की वहीं की रोगिणी हूं। मैं यहां आई तो मुझे कुछ कष्ट हुआ। अतः उनसे ही राय करना उचित समझकर यहां आई हूं।

‘‘परन्तु क्या दुर्घटना हुई है डॉक्टर साहब के दामाद के साथ?’’

‘‘वह एक कारखाने में इंजीनियर का कार्य करता था। तीन दिन हुए एक मशीन की लपेट में आ गया और उसकी दोनों टांगें कुचली गईं। आज डॉक्टर उसकी टांगों का ऑपरेशन करने वाले हैं। इस कारण डॉक्टर साहनी अस्पताल गये हैं।’’

‘‘डॉक्टर साहब की लड़की कहां है?’’

‘‘वह तथा उसकी मां भी अस्पताल में ही हैं।’’

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