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उपन्यास >> प्रगतिशील

प्रगतिशील

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8573

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इस लघु उपन्यास में आचार-संहिता पर प्रगतिशीलता के आघात की ही झलक है।


वह उसके समीप ही रखे स्टूल पर बैठ गई। उसके आंसू अभी भी नहीं थमे थे। मदन ने पूछा, ‘‘तुमको किसने इस दुर्घटना की सूचना दी है?’’

‘‘मैं तो आपसे मिलने के लिए आई थी। इस घटना का वृत्तान्त तो कल सायंकाल डॉक्टर स्मिथ से विदित हुआ था। आज अस्पताल का पता कर आपकी बहिन होने का सम्बन्ध बताकर भीतर आई हूं।’’

‘‘डॉक्टर स्मिथ को अपना परिचय दिया है?’’

‘‘नहीं, उसको केवल इतना ही बताया था कि मैं हिन्दुस्तान में डॉक्टर साहनी की रोगी रही हूं।’’

मदन मुस्कराया और चुप रहा। फिर कुछ विचार कर उसने कहा डॉक्टर स्मिथ ने मेरे विवाह की बात बताई थी?’’

महेश्वरी ने उत्तर नहीं दिया। परन्तु उसकी मुख-मुद्रा और नेत्र बता रहे थे कि वह सब जानती है।

‘‘मेरी पत्नी अर्थात् डॉक्टर साहनी की लड़की को देखा है?’’

महेश्वरी ने नाकारात्मक सिर हिला दिया। मदन ने कहा, ‘‘कदाचित वह अभी आये। उससे मिलना चाहोगी?’’

महेश्वरी ने स्वीकारात्मक सिर हिला दिया।

‘‘मैं समझता हूं कि अब इससे कोई लाभ नहीं होगा। वह इस समय भी कहीं अन्यत्र विवाह करने का विचार कर रही होगी।’’

‘‘सत्य?’’

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