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अंतिम संदेश

खलील जिब्रान

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :74
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9549

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विचार प्रधान कहानियों के द्वारा मानवता के संदेश

(12)


और एक दिन तड़के, जबकि सूर्य ऊपर उठ चुका था, शिष्यों में से एक, उन तीन में से एक, जोकि बचपन में उसके साथ खेले थे, उसके पास पहुंचा और बोला, "प्रभो, मेरे कपडे़ फट चुके हैं और मेरे पास दूसरे नही हैं। कृपया मुझे हाट तक जाकर लाने की आज्ञा दीजिए। सम्भवतःमैं अपने लिए एक नया जोडा़ ला सकूं।”

और अलमुस्तफा ने उस युवक की ओर देखा और उसने कहा, "मुझे अपने कपडे़ दे दो।" उसने ऐसा ही किया और वह खिलती हुई धूप में नंगा खडा़ हो गया।

और अलमुस्तफा ऐसी आवाज में बोला, जोकि सड़क पर दौड़ते हुए जवान घोडे़ की टाप की होती है, "केवल नंगे ही सूर्य के प्रकाश में रहते हैं. केवल निष्कपट ही वायु पर सवारी करते हैं। और केवल वही, जो अपना रास्ता एक सहस्त्र बार खोता है, अपने घर को लौटता है।”

"देवता चतुर मनुष्यों से तंग आ गए हैं, और कल ही तो एक देवता ने मुझसे कहा, 'हमने उन लोगों के लिए नर्क बनाया है, जोकि चमकते अधिक हैं। अग्नि के अतिरिक्त और क्या है, जो एक चमकती हुई सतह को खुरच सके और प्रत्येक वस्तु को पिघलाकर उसे प्रकृत रूप प्रदान कर सके?”

और मैंने कहा, “किन्तु नर्क बनाने में तुमने दानव भी तो उत्पन्न कर दिए हैं, जोकि नर्क पर राज्य करते हैं।” किन्तु देवता ने उत्तर दिया, 'नहीं, नर्क पर उनका राज्य है, जो अग्नि के सम्मुख भी न झुके।'

“बुद्धिमान देवता। वह मनुष्य और अर्ध-मनुष्य की विधियों से परिचित है। वह उन दैवी पुरुषों में से एक है, जोकि देवदूतों की सहायता के लिए आते हैं; तब जबकि वे चतुर मनुष्यों द्वारा आकर्षित कर लिये जाते हैं।”

"मेरे मित्रो और मेरे नाविको, केवल नंगा ही सूर्य के प्रकाश में रहता है। केवल बिना पतवार के ही विशाल सागर पार किये जा सकते हैं। केवल वह जोकि रात्रि के साथ अन्धकारमय हो जाता है, भोर के साथ जागता है; और वह जोकि हिम के साथ जड़ों में सोता है, बाहर तक पहुंचता है।” 

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