लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> अंतिम संदेश

अंतिम संदेश

खलील जिब्रान

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :74
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9549

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

9 पाठक हैं

विचार प्रधान कहानियों के द्वारा मानवता के संदेश

“और वह देश भी दयनीय है, जोकि निर्दयी को शूरवीर मानता है और दमकते हुए विजयी को उदार समझता है।”

"और वह देश भी दयनीय है, जोकि सपने में एक इच्छा का तिरस्कार करता है औऱ जागृत अवस्था में उसीके वश में लीन रहता है।”

"और वह देश भी दयनीय है, जोकि मृत्यु के जुलूस में चलते समय को छोड़ कभी भी अपनी आवाज नहीं उठाता, अपने खंडहरों के अलावा कहीं अपनी डींग नहीं हांकता, और कभी बगावत नहीं करता, सिवा तब के जबकि गरदन तलवार और पत्थर के बीच रख दी गई हो।”

"और वह देश भी दयनीय है, जिसका राजनीतिज्ञ एक लोमडी़ है, जिसका दार्शनिक एक बाजीगर है, और जिसकी कला पैबन्द लगाना और बहुरुपिया बनाना है।”

"और वह देश भी दयनीय है, जो अपने नये राजा का धूम-धाम से स्वागत करता है और छीःछीः करके उसे विदा करता है, केवल इसलिए कि दूसरे राजा का फिर धूम-धाम से स्वागत करे।”

"और वह देश भी दयनीय है, जिसके महात्मा वर्षों के साथ गूंगे हो गए हैं और जिसके शूरवीर अभी पालना झूल रहे हैं।”

"और दयनीय है वह देश, जोकि अनेक टुकड़ों में बंटा हुआ है, और प्रत्येक टुकडा़ अपने को एक देश समझता है।"

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai