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भज गोविन्दम्

आदि शंकराचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :37
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9557

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ब्रह्म साधना के साधकों के लिए प्रवेशिका


कस्त्वं कोऽहं कुत आयातः,
का मे जननी को मे तातः।
इति परिभावय सर्वमसारम्,
विश्वं त्यक्त्वा स्वप्न विचारम् ॥23॥

(भज गोविन्दं भज गोविन्दं,...)

तुम कौन हो? मैं कौन हूँ? कहाँ से आया हूँ? मेरी माँ कौन है? मेरा पिता कौन है? सब प्रकार से इस विश्व को असार समझकर इसको एक स्वप्न के समान त्याग दो  और तत्व की जिज्ञासा करो॥23॥
(गोविन्द को भजो, गोविन्द को भजो,.....)

kastvaM ko.ahaM kuta aayaataH
kaa me jananii ko me taataH
iti paribhaavaya sarvamasaaram.h
vishvaM tyaktvaa svapna vichaaram.h ॥23॥

Who are you ? Who am I ? From where I have come ? Who is my mother, who is my father ? Ponder over these and after understanding,this world to be meaningless like a dream,relinquish it. ॥23॥
(Chant Govinda, Worship Govinda…..)

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