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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


9. माँ भी मुझको पुचकारती


माँ भी मुझको पुचकारती
प्यार से मुझे दुलारती
कान के पीछे कालिख लगाती
नजरें मेरी उतारती

मुझे खुश रखती प्यारी माँ
करती पूरी हर इच्छा

प्यार खूब मैं पाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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