ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
9. माँ भी मुझको पुचकारती
माँ भी मुझको पुचकारती
प्यार से मुझे दुलारती
कान के पीछे कालिख लगाती
नजरें मेरी उतारती
मुझे खुश रखती प्यारी माँ
करती पूरी हर इच्छा
प्यार खूब मैं पाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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