ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
11. माँ के गर्म-गर्म आँचल में
माँ के गर्म-गर्म आँचल में
दुनिया सिमटी सारी है
हाथ फिराती है सिर पे
मेरी माँ कितनी प्यारी है
सोती हूँ माँ के आँचल में
उठती हूँ माँ के आँचल में
मैं भी माँ की प्यारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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