ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
3. अल्ट्रासाउँड से माँ के पेट में
अल्ट्रासाउँड से माँ के पेट में
मेरी दादी ने देखा मुझको
बोली हमको चाहिए पोता
वारिश चाहिए घर का मुझको।
थर-थर कांपा मेरा तन
अँधकार छाया आँखों आगे,
सोच-सोच रोने लगी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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