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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


3. अल्ट्रासाउँड से माँ के पेट में


अल्ट्रासाउँड से माँ के पेट में
मेरी दादी ने देखा मुझको
बोली हमको चाहिए पोता
वारिश चाहिए घर का मुझको।

थर-थर कांपा मेरा तन
अँधकार छाया आँखों आगे,

सोच-सोच रोने लगी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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