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उपन्यास >> परम्परा

परम्परा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9592

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भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास

4

कुलवन्तसिंह ने आज पुनः बाबा द्वारा कही कथा की फाइल निकाली और पढ़नी आरम्भ कर दी।

रावण के विन्ध्य प्रदेश के राजा अर्जुन द्वारा बन्दी बनाये जाने के समाचार की भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न प्रितिकियायें हुईं। देवलोक में इन्द्र को पता चल गया कि राजनीति और युद्ध-नीति में कहाँ अन्तर है? जहाँ राजनीति अपने राज्य में रहने वालों से सम्बन्ध रखती है और वह देश तथा जाति में प्रचलित धर्मानुसार होती है, वहाँ शत्रु के साथ नीति भिन्न होती है। वहाँ युद्ध में माया (छलना) का व्यवहार क्षम्य है। मेघनाथ ने इन्द्र को भी माया से ही बन्दी बनाया था। कुछ राक्षस सैनिकों को देवताओं के पहरावे में इन्द्र के पास भेज दिया और इन्द्र को कहा गया कि देवताओं ने रावण की सर्वश्रेष्ठ नर्तकी को बन्दी बना लिया है और वह राजा इन्द्र को अपना नृत्य और संगीत सुनायेगी। इन्द्र छलना में आ गया और अपने थोड़े-से साथियों के साथ नृत्य देखने चला गया। वहाँ मेघनाथ ने उसे अनायास ही बन्दी बना लिया।

इन्द्र ने जब राजा अर्जुन की कथा सुनी कि नर्मदा के जल को बाँध लगा रोक दिया गया तो उस पूर्ण क्षेत्र में बाढ़ आ गयी और बिना एक भी तीर चलाये रावण के तीन-चौथाई सैनिक डूब गये। पुष्पक विमान जल भर जाने से बेकार हो गया और रावण डूबता-डूबता बचा कर बन्दी बना लिया गया।

इन्द्र को समझ आया कि आर्य राजे देवताओं से नीति में बाजी ले गये हैं। अतः उसने आर्यों को ही राक्षसों से भिड़ा देने की योजना पर विचार करना आरम्भ कर दिया।

देवताओं में नारद का सम्पर्क पूर्ण भूमण्डल से था। अतः उसे बुलाया गया और सम्मति होने लगी कि किस प्रकार दृष्ट रावण के भार से पृथिवी को मुक्त किया जाये?

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