उपन्यास >> परम्परा परम्परागुरुदत्त
|
352 पाठक हैं |
भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास
‘‘राम को हम विशेष विभूति-युक्त महापुरुष इस कारण नहीं मानते कि वह दशरथ का पुत्र था और श्रृंगी ऋषि का नहीं था। राम की महिमा किसी अन्य कारण से थी?’’
‘‘किस कारण से थी?’’
‘‘पण्डित भृगुदत्त! यही तो सुना रहा हूँ। पूर्ण कथा सुनने पर भी यदि तुम समझ नहीं सकोगे तो मैं स्वयं समझा दूँगा। परन्तु बिना पूर्ण कथा सुने तुम समझ नहीं सकोगे।
‘‘रावण को बन्दी बनाये जाने और फिर महर्षि विश्रवा के बीच-बचाव करने पर छोड़ने की प्रतिक्रिया आर्य राज्यों में भी हुई। विन्ध्य प्रदेश के राजा अर्जुन ने रावण से सन्धि तो कर ली, परन्तु वह सन्देह करने लगा कि छूट जाने पर रावण अन्य आर्य राज्यों को कष्ट देगा। इस कारण उसने अपने राज्य को और अधिक सुदृढ़ करना आरम्भ कर दिया। विन्ध्याचल के वनों में रहने वाले ऋषि भी इस समाचार से त्रसित अनुभव करने लगे थे कि रावण अपनी हलचल नर्मदा के दक्षिण मे तेज कर देगा।
|