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उपन्यास >> परम्परा

परम्परा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9592

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भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास


राम और लक्ष्मण अभी सिद्धाश्रम में ही थे जब यह समाचार मिला कि विदेह के महाराजा जनक अपनी लड़की से स्वयंवर करा रहे हैं। देश-विदेश के राजा मिथिला में जनकपुरी जा रहे हैं। इस सूचना से विश्वामित्र के मन में एक विचार उत्पन्न हुआ और उसने राम को कहा, ‘‘राम! हम जनकपुरी चलेंगे।’’

‘‘वहाँ क्या है, गुरुजी?’’

‘‘महाराजा जनक की पुत्री का स्वयंवर हो रहा है। मिथिला नरेश एक बृहत् यज्ञ रच रहे हैं। उस यज्ञ में दूर-दूर से विद्वान् ऋषि लोग उपस्थित होंगे। हमें भी चलना चाहिये।’’

राम और लक्ष्मण तथा सिद्धाश्रम के बहुत से तपस्वी मिथिला को चल पड़े।

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