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उपन्यास >> परम्परा

परम्परा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9592

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भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास

8

कुलवन्तसिंह अगले दिन अपने कार्यालय मे पहुँचा तो उसे इंगलैण्ड जाने की आज्ञा हो गयी। जाने वाले वायु-सेना के बीस अधिकारी थे। भारत के भिन्न-भिन्न भागों से दिल्ली में एकत्रित हो एक दिन इंगलैण्ड के लिये चल दिये।

इंगलैण्ड में नौटिंगम के हवाई पत्तन पर वे सब उतर गये और उनके वहाँ जाते ही उनका प्रशिक्षण आरम्भ हो गया। भिन्न-भिन्न प्रकार के हवाई-जहाजों की जानकारी और उनमें उड़ान करने तथा आक्रमण के संरक्षण के उपायों पर प्रशिक्षण होता रहा।

सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार अवकाश रहता था और हिन्दुस्तानी अधिकारी इंगलैण्ड के साथियों के साथ भिन्न-भिन्न स्थानों पर भ्रमण करने जाते थे।

छः महीनों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम था और हिन्दुस्तानी अधिकारियों को आये हुए चार मास हो चुके थे। कुलवन्तसिंह की एक ब्रिटिश ‘एयर कमांडर’ मिस्टर फ्रिट्स इरविन से घनिष्टता हो गयी थी। मिस्टर इरविन की पत्नी और बच्चे लन्दन में रहते थे और कुलवन्तसिंह प्रायः सप्ताह के अन्तिम दो दिन लन्दन में व्यतीत करने चला जाया करता था। वह कभी मिस्टर इरविन के मकान पर और कभी किसी सामान्य होटल में ठहर जाया करता था।

इस दिन दोनों मित्र ‘ही थ्रो’ हवाई पत्तन पर पहुँचे तो इरविन ने कुलवन्तसिंह को कहा, ‘‘मेरे घर पर चलो।’’

‘‘इरविन डीयर! मैं आज होटल में ठहरने का विचार कर रहा हूँ। मैं लन्दन म्यूजियम के पुस्तकालय में पूरा दिन व्यतीत करना चाहता हूँ। तुम्हारे घर से वह दूर पड़ेगा।’’

‘‘देखो सिंह! ठहरों हमारे घर पर। प्रातः के अल्पाहार के उपरान्त तुम चले जाना। मध्याह्न का भोजन और मध्याह्नोत्तर की चाय वहाँ ही लेना। रात भोजन के समय तुम घर आ सकते हो।’’

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