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उपन्यास >> परम्परा

परम्परा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9592

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भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास


‘‘वह मकान लुईसी क्रिस्टर ने भाड़े पर लिया हुआ है। मैं तो उसके मकान में रह रहा था। मैं यहाँ से सीधा वहाँ गया तो मकान खुला था। भीतर प्रकाश हो रहा था। मैंने द्वार पर की घण्टी बजायी तो इस अपरिचित युवक ने द्वार खोला। मैं भीतर घुसने लगा तो उसने द्वार में खड़े हो मेरा मार्ग रोक पूछ लिया, ‘‘कहाँ जा रहे हो?’

‘‘मैने बताया, ‘अपने मकान में जा रहा हूँ।’

‘पर तुम कौन हो?’’

‘‘मैंने अपना नाम बताया तो उसने कहा, ‘ओह! तुम मिस क्रिस्टल से मिलने आये हो?’

‘हाँ।’ मैंने कुछ न समझते हुए कह दिया।

‘‘उस व्यक्ति ने कहा, ‘मिस क्रिस्टर ने विवाह कर लिया है। वह अब मिसेज़ फिशर हो गयी है। वह इस समय अपने बैड-रूम में है। यदि आप कल आयें तो वह मिल सकेगी।’

‘कब हुआ है विवाह?

‘विवाह तो आज मध्याह्नोत्तर ढाई बजे मजिस्ट्रेट के सामने हुआ है और विवाह के उपरान्त हम यहाँ आये थे। दो घण्टा-भर रहने के उपरान्त हम वैडिंग-डिनर के लिये गए थे और अभी-अभी यहाँ आये हैं। मैं भी उसके साथ अभी बैड-रूम में जाने ही वाला था कि आप आ गये हैं।’

‘मैं लुईसी से अभी मिलना चाहता हूँ। यदि वह बाहर आ सके तो मैं उसकी बहुत कृपा मानूँगा।’

‘देखता हूँ। यदि उसने अभी वस्त्र नहीं उतारे तो कदाचित् मिल सकेगी।’

‘‘उस व्यक्ति ने मुझको सिटिंग-रूम में सोफा पर बैठा दिया और स्वयं बैड-रूम में चला गया। पाँच मिनट लगे लुईसी को बाहर आने में। वह नाइट गाउन पहने हुए थी।

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