लोगों की राय

उपन्यास >> परम्परा

परम्परा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9592

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

352 पाठक हैं

भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास


कुलवन्त समझ नहीं सका कि उसका यह काम पहले दिन वाली घटना से सम्बन्ध रखता है अथवा उससे पृथक, कोई कार्य है। इस पर भी उसने अर्जी पर स्वीकृति लिख क्लर्क को दे दी।

दिन-भर कार्यालय में काम रहा। तीन बजे उसे अफसरों की एक मीटिंग में जाना पड़ा। वहाँ दिल्ली क्षेत्र के सब स्क्वाड्रन लीडर इकट्ठे किये गए थे। यह अर्जेन्ट मीटिंग बुलायी गयी थी।

सबके कमेटी-रूम में उपस्थित होने पर ‘एयर कमाण्डर’ ने बताया, ‘‘यह मीटिंग, जैसा कि आप सबको बताया जा चुका है ‘टॉप सीक्रेट’ में है। इस कारण इसकी कोई भी बात कमेटी-रूम के बाहर नहीं होनी चाहिये।

‘‘भारत सरकार ने यह सूचना भेजी है कि पाकिस्तान में युद्ध की तैयारी की जा रही है। इस युद्ध में हवाई सेना ने और उसमें भी हमारे नार्दर्न कमाण्ड ने विशेष भाग लेना है। हमारे हवाई कमाण्डरों की आज मध्याह्न से पूर्व एक मीटिंग से इस अवसर पर क्या-क्या करना चाहिये, इस विषय में उन सब बातों का एक लिखा पत्र आपको मिल जायेगा।

‘‘वह पत्र अभी तैयार हो रहा है। उसके विषय में तो कुछ कहने के लिये नहीं है। वह तो हमें बिना कुछ कहे पालन करना है। जो बात मैं आप सबको कहना चाहता हूँ वह यह है कि सब छुट्टियाँ रद्द। सबको हेड क्वार्टर से बाहर नहीं जाना होगा, सब टेलीफोन पर होंगे और सब समय एक घण्टे के भीतर डूयूटी पर उपस्थित होने के लिये तैयार रहना चाहिये।’’

इसके उपरान्त पश्चिमी पाकिस्तान के सीमा-क्षेत्र का मानचित्र निकाल कर बोर्ड पर ‘पिन’ कर दिया गया और उस पर आक्रमण करने के स्थानों के विषय में विचार होने लगा। उन स्थानों की सब उपलब्ध जानकारी मेज पर रख दी गयी और हवाई जहाज़ों की पार के अन्तर का विचार कर भिन्न-भिन्न हवाई छावनियों का कार्य-क्षेत्र निश्चय कर दिया गया।

इस विचार-विनिमय में दो घण्टे व्यतीत हो गये। तदनन्तर कॉफी पीने के उपरान्त मीटिंग विसर्जित हुई।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book