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उपन्यास >> परम्परा

परम्परा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9592

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भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास


‘‘ऐसी घटनायें युद्ध के समीप होने के ही तो लक्षण होते हैं। इस पर भी मैं समझता हूं कि पाकिस्तान में यदि कुछ भी सबझ-बूझ है तो युद्ध नहीं करेगा। पाकिस्तान को समझ लेना चाहिये कि भारत अब वह हिन्दुस्तान नहीं है जो महमूद गज़नवी अथवा मुहम्मद गौरी के आक्रमणों के समय था। अब कोई भी भारत पर आक्रमण करेगा, पहले दस बार विचार करेगा।’’

गरिमा ने अपने पति के आत्मविश्वास की बात सुन कह दिया, ‘‘तो चीन को भी यह विचार करना पड़ेगा कि भारत पर आक्रमण करे अथवा न?’’

‘‘चीन आक्रमण नहीं करेगा। चीन अथवा अन्य कम्युनिष्ट देश दो प्रकार से ही युद्ध कर सकते हैं। एक तो आत्म-रक्षा और दूसरे किसी देश की किसी अन्य देश से हत्या कर देने पर उसके शव पर गिद्धों की भाँति झपटने में।

‘‘देखो गरिमा! रूस ने हंगरी पर आक्रमण किया है तो अन्य देशों से मिलकर। अकेले नहीं। इससे पहले युद्ध के दिनों में तथा उसके उपरान्त रूमानिया, बुल्गारिया और पोलैण्ड पर अधिकार किया है तो इस कारण कि इन देशों का पहले जर्मनी द्वारा कचूमर निकाला जा चुका था। साथ ही इन देशों की जो सहायता करने की सामर्थ्य रखते थे, वे इन देशों को रूस की दया पर छोड़ चुके थे।’’

‘‘परन्तु अब चीन और रूस तो परस्पर लड़ने वाले दिखायी देते हैं।’’

‘‘नहीं। वे परस्पर तब तक नहीं लड़ेगे, जब तक कि दोनों में से किसी एक की किसी स्वतन्त्र देश से पिटायी नहीं हो चुकी होगी। इसके विपरीत हमारे अफसरों को अमेरिका के विषय में यह भय लगा रहता है यह इतना मूर्ख देश है कि यह अकारण भी लड़ सकता है।’’

‘‘यह क्यों?’’

‘‘यह इसलिये कि पिछले विश्व-युद्ध में इसने विजय प्राप्त की है और इसने दूसरों के देश में जाकर युद्ध किया है। इसके अपने देश में युद्ध नहीं हुआ है।’’

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