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पिया की गली

कृष्ण गोपाल आबिद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :171
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9711

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भारतीय समाज के परिवार के विभिन्न संस्कारों एवं जीवन में होने वाली घटनाओं का मार्मिक चित्रण


"सच?" खुशी के आँसू।

"मां-पिता जी..... सुधा ने आँखें खोल दी हैं। पिताजी – माँ” वह बाहर की ओर लपका।

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सबसे मिलने के बाद थकावट सी महसूस करके आँखें बन्द कर लेट गई।

अचानक एक कांटा सा मन में आ अटका।

उदासी से करवट बदल ली।

माँ ने धीरे से कहा, “सुधा।"

“जी, माँ जी।"

“तुमने उसे देखा? उसे....।"

“किसे माँ जी ?"

“तुम्हारा बेटा?”

“मेरा बेटा?”

चौक कर बैठ गई बिस्तरे में, "मेरा बेटा? कहां है वह?"

बाहें फडकने लगीं। "मेरा बेटा, मेरा बेटा? कहां है वह?"

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