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श्रीकान्त

शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :598
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9719

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शरतचन्द्र का आत्मकथात्मक उपन्यास


मैंने हँसकर कहा, “मुझे देतीं तो मैं उससे भी अच्छा बता सकता था।”

ज्योतिषी उड़िया ब्राह्मण था, बहुत अच्छी बंगला बोलता था- बंगाली कहा जा सकता है। उसने भी हँसकर कहा, “नहीं महाशय, रुपये के लिए नहीं, रुपये तो मैं बहुत कमाता हूँ। सच कहता हूँ कि ऐसा अच्छा हाथ मैंने दूसरा नहीं देखा। देखिएगा, मेरा हाथ देखना कभी झूठ नहीं होता।”

कहा, “ज्योतिषीजी, बिना हाथ देखे कुछ बता सकते हो?”

“बता सकता हूँ। एक फूल का नाम लीजिए।”

“सेमर का फूल।”

ज्योतिषी ने हँसकर कहा, “सेमर का फूल ही सही। मैं बता दूँगा कि आप क्या चाहते हैं।” कहकर उसने खड़िया से दो मिनट तक हिसाब लगाकर कहा, “आप एक खबर जानना चाहते हैं।”

“कौन-सी खबर?”

वह मेरी ओर देखकर कहने लगा, “नहीं, मामले-मुकदमे की नहीं, आप किसी आदमी की खबर जानना चाहते हैं।”

“कैसी खबर है, बता सकते हैं?”

“बता सकता हूँ। खबर अच्छी है, दो-एक दिन में ही मिल जायेगी।” सुनकर मन ही मन विस्मित हुआ, मेरा चेहरा देखकर सबने ही यह अनुमान किया।

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